🌕 रक्षाबंधन 2025: इस बार कब है, क्या है शुभ मुहूर्त?

भारत त्योहारों का देश है और हर पर्व यहां सिर्फ उत्सव नहीं बल्कि भावनाओं की अभिव्यक्ति भी होता है। उन्हीं में से एक है रक्षाबंधन, जो हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और रक्षा के लिए राखी बांधती हैं और भाई बहनों को आजीवन सुरक्षा और स्नेह का वचन देते हैं।
2025 में रक्षाबंधन को लेकर लोगों में उत्साह पहले से कहीं ज़्यादा है क्योंकि यह त्योहार न केवल पारंपरिक भावनाओं से जुड़ा है, बल्कि अब यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक अभियान का रूप भी ले चुका है।
रक्षाबंधन 2025 में कब है?
रक्षाबंधन 2025 की तारीख है: वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन पूर्णिमा की तिथि की शुरुआत 08 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट से होगी। वहीं,इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 09 अगस्त 01 बजकर 24 मिनट पर होगा। ऐसे में 09 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जाएगा।
🕰️ 2025 में रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
राखी बांधने का उत्तम समय हैं:
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त (Raksha Bandhan 2025 shubh Muhurat) : 09 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 05 बजकर 47 मिनट से 01 बजकर दोपहर 24 मिनट तक हैं।
पंचांग
सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 47 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 06 मिनट पर
चन्द्रोदय: शाम 07 बजकर 21 मिनट पर
ब्रह्म मुहुर्त: सुबह 04 बजकर 22 मिनट से 05 बजकर 04 मिनट तक
विजय मुहुर्त: दोपहर 02 बजकर 40 मिनट से 03 बजकर 33 मिनट तक
गोधूलि मुहुर्त: शाम 07 बजकर 06 मिनट से 07 बजकर 27 मिनट तक
निशिता मुहुर्त : रात 12 बजकर 05 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक
🧵 रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन (रक्षाबंधन 2025) सिर्फ राखी बांधने तक सीमित नहीं है, यह एक भावनात्मक बंधन है जो भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं, तिलक लगाती हैं, मिठाई खिलाती हैं और उनके लिए मंगलकामना करती हैं। वहीं भाई बहन को उपहार देकर उसकी रक्षा का वादा करता है।
यह पर्व उन भाइयों-बहनों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो एक-दूसरे से दूर रहते हैं — अब सोशल मीडिया, वीडियो कॉल और ऑनलाइन गिफ्टिंग ने दूरियों को मिटा दिया है।
📜 रक्षाबंधन की कुछ पौराणिक कथाएं भी हैं:

रक्षाबंधन की जड़ें भारत की पौराणिक कथाओं में गहराई से समाई हुई हैं। कुछ प्रमुख कथाएं:
1. श्रीकृष्ण और द्रौपदी की कहानी
जब श्रीकृष्ण का हाथ युद्ध में कट गया था तो द्रौपदी ने अपने साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनका रक्त रोकने के लिए बांध दिया। इसी ‘रक्षा सूत्र’ की परंपरा को आगे रक्षाबंधन के रूप में मनाया गया।
2. राजा बलि और माता लक्ष्मी
भगवान विष्णु जब राजा बलि के पास वामन रूप में गए थे, तब माता लक्ष्मी ने बलि को राखी बांधकर भाई बनाया और विष्णु को लौट आने की शर्त रखी। तबसे यह परंपरा बनी।
3. यमराज और यमुनाजी की कथा
यमुनाजी ने यमराज को राखी बांधी थी और उनसे हर साल मिलने का वादा लिया। यह भाई-बहन के रिश्ते की अमरता दर्शाता है।
*इस उलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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