Anant Chaturdashi 2025: कब है, महत्व, पूजा विधि, व्रत कथा और अनंत सूत्र का रहस्य

Anant Chaturdashi 2025

हिंदू धर्म में प्रत्येक पर्व का अपना विशेष महत्व होता है। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आने वाला अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi 2025) ऐसा ही एक पावन पर्व है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और परिवार में शांति का वास होता है।

अनंत चतुर्दशी का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इसी दिन गणपति विसर्जन भी किया जाता है। गणेशोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी पर होता है।

आइए विस्तार से जानते हैं अनंत चतुर्दशी 2025 की तारीख, पूजा-विधि, महत्व और अनंत सूत्र के बारे में।

Anant Chaturdashi 2025 कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार –

  • तिथि प्रारंभ: 5 सितंबर 2025, शुक्रवार, प्रातः 06:46 बजे

  • तिथि समाप्त: 6 सितंबर 2025, शनिवार, सुबह 07:32 बजे

  • व्रत एवं पूजन का दिन: 6 सितंबर 2025, शनिवार

 इस प्रकार 2025 में अनंत चतुर्दशी का पर्व 6 सितंबर (शनिवार) को मनाया जाएगा।

अनंत चतुर्दशी का महत्व

  1. इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा होती है।

  2. अनंत का अर्थ है – जिसका कोई अंत न हो। भगवान विष्णु को अनंत रूप में स्मरण करने से जीवन की हर परेशानी दूर होती है।

  3. व्रत करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

  4. इस दिन अनंत सूत्र (विशेष धागा) बांधा जाता है, जिसे रक्षा और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।

  5. गणपति उत्सव का समापन भी इसी दिन होता है, इसलिए महाराष्ट्र और पश्चिम भारत में यह पर्व विशेष रूप से धूमधाम से मनाया जाता है।

अनंत चतुर्दशी की पूजा-विधि

पूजन सामग्री

  • कलश, अनंत सूत्र (14 गांठ वाला धागा)

  • तुलसी दल, फूल, फल

  • पंचामृत, दूध, दही, शहद

  • नारियल, धूप, दीप, रोली, चावल

पूजा विधि

    1. कलश स्थापित करें और उसके ऊपर नारियल रखें।

    2. भगवान विष्णु का आह्वान करें और उन्हें पुष्प व तुलसी दल अर्पित करें।

    3. “ॐ अनन्ताय नमः” मंत्र का जाप करें।

    4. भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं।

    5. भगवान को भोग अर्पित करें – खासतौर पर दूध, फल और मिठाई।

    6. अनंत सूत्र (कच्चे लाल रेशमी धागे में 14 गांठें लगाकर) भगवान को अर्पित करें और फिर दाहिने हाथ पर बांधें।

    7. व्रत कथा सुनें और परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद वितरित करें।

अनंत सूत्र का महत्व

अनंत चतुर्दशी पर जो विशेष धागा बांधा जाता है, उसे अनंत सूत्र कहते हैं।

  • यह लाल रेशमी धागा होता है जिसमें 14 गांठें लगाई जाती हैं।

  • यह सूत्र भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का प्रतीक है।

  • इसे दाहिने हाथ पर बांधने से सौभाग्य, धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

  • मान्यता है कि यह सूत्र बंधन जीवन की सभी बाधाओं और बुरे प्रभावों से रक्षा करता है।

अनंत चतुर्दशी व्रत कथा

शास्त्रों में अनंत चतुर्दशी की एक पौराणिक कथा मिलती है –

प्राचीन काल में नंदनवन में सुमंत नामक एक ब्राह्मण रहते थे। उनकी पत्नी दीक्षा बड़ी धर्मपरायण थीं। एक दिन उनके घर उनकी पुत्री सुषिला का विवाह कौंडिन्य ऋषि से हुआ। विवाह के बाद सुषिला ने देखा कि पास ही कुछ महिलाएं अनंत चतुर्दशी का व्रत कर रही हैं।

सुषिला ने भी श्रद्धापूर्वक यह व्रत किया और अनंत सूत्र अपने हाथ में बांधा। इसके बाद उसके जीवन में सुख-समृद्धि आने लगी। लेकिन जब कौंडिन्य ऋषि को यह पता चला कि सब सुख-समृद्धि अनंत सूत्र की वजह से है, तो उन्होंने इसे अंधविश्वास मानकर धागा निकाल फेंका।

इसके बाद उनके जीवन में दुख, दरिद्रता और संकट आ गए। तब ऋषि को अपनी गलती का एहसास हुआ। वे जंगल में जाकर भगवान विष्णु का कठोर तप करने लगे। अंत में भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा कि जो भी श्रद्धा से अनंत चतुर्दशी का व्रत करेगा और अनंत सूत्र धारण करेगा, उसके जीवन के कष्ट दूर होंगे।

अनंत चतुर्दशी और गणपति विसर्जन

  • गणेशोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है।

  • इस दिन गणपति बप्पा को विसर्जित किया जाता है।

  • महाराष्ट्र और पश्चिम भारत में यह पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

अनंत चतुर्दशी पर किए जाने वाले विशेष उपाय

  • गरीबों को भोजन कराएं।

  • भगवान विष्णु को पीले वस्त्र और तुलसी अर्पित करें।

  • “ॐ अनन्ताय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।

  • सभी परिवारजन अनंत सूत्र बांधें।

अनंत चतुर्दशी का ज्योतिषीय महत्व

  • अनंत चतुर्दशी  पर्व सूर्य और चंद्रमा की विशेष स्थिति में आता है।
  • अनंत चतुर्दशी विष्णु उपासना से व्यक्ति को धन, संतान और आरोग्य का वरदान मिलता है।
  • अनंत चतुर्दशी यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ है जो कर्ज़ और आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हों।

अनंत चतुर्दशी के लाभ

  • अनंत चतुर्दशी व्रत परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

  • अनंत चतुर्दशी व्रत से धन और व्यवसाय से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।

  • संतान सुख और वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बढ़ता है।

  • जीवन में संकट और बाधाएं दूर होती हैं।

  • भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

निष्कर्ष

अनंत चतुर्दशी 2025 का पर्व इस बार 6 सितंबर, शनिवार को मनाया जाएगा। यह दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की आराधना का दिन है। अनंत सूत्र बांधने, व्रत रखने और कथा सुनने से व्यक्ति के जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का वास होता है।

गणेशोत्सव का समापन भी इसी दिन होता है, इसलिए यह पर्व और भी पावन और विशेष माना जाता है।

डिस्क्लेमर

यह लेख धार्मिक मान्यताओं और पुराणों पर आधारित है। किसी विशेष अनुष्ठान या व्रत के लिए अपने गुरु अथवा धर्माचार्य से सलाह लेना उचित है।

अनंत चतुर्दशी 2025 से जुड़े FAQs

Q1. अनंत चतुर्दशी 2025 कब है?
 6 सितंबर 2025, शनिवार को।

Q2. अनंत सूत्र क्यों बांधा जाता है?
 यह भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का प्रतीक है और इसे बांधने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

Q3. अनंत चतुर्दशी पर कौन-सा मंत्र जाप करें?

 “ॐ अनन्ताय नमः” का 108 बार जाप करना शुभ है।

Q4. क्या अनंत चतुर्दशी और गणपति विसर्जन एक ही दिन होता है?
 हां, गणेशोत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ होता है।

Q5. इस दिन व्रत करने के क्या लाभ हैं?
 व्रत करने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं, परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

 

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